रायपुर। रायपुर–विशाखापत्तनम इकोनॉमिक कॉरिडोर के अंतर्गत भारतमाला सड़क परियोजना में भूमि अधिग्रहण के नाम पर हुए करोड़ों रुपये के घोटाले में जांच एजेंसियों ने एक बार फिर सख्त रुख अपनाया है। संकेत हैं कि जमानत पर रिहा हुए आधा दर्जन से अधिक आरोपितों को दोबारा गिरफ्तार किया जा सकता है। इस मामले में चार आईएएस अधिकारियों और दो राजनीतिक हस्तियों की भूमिका भी जांच के घेरे में आ गई है।
ईओडब्ल्यू की कार्रवाई के बाद अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की एंट्री से प्रशासनिक और राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मच गया है। जांच एजेंसियों के अनुसार, इस पूरे घोटाले का मुख्य सूत्रधार जमीन दलाल हरमीत खनूजा था, जिसने राजस्व विभाग के अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर योजनाबद्ध तरीके से सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचाया।
जांच में यह सामने आया था कि हरमीत खनूजा ने भ्रष्टाचार से अर्जित धन का इस्तेमाल कर तत्कालीन तहसीलदार शशिकांत कुर्रे की पत्नी के साथ मिलकर एक फर्म बनाई। इसी फर्म के नाम पर 1.37 हेक्टेयर भूमि खरीदी गई। इतना ही नहीं, एक आदिवासी की करीब आठ एकड़ जमीन भी इसी फर्म के नाम पर दर्ज कराई गई, जबकि कई किसानों को उनकी जमीन का पूरा भुगतान तक नहीं किया गया।
ईओडब्ल्यू की जांच में यह भी खुलासा हुआ कि खनूजा ने तहसीलदार की पत्नी के नाम पर करीब छह एकड़ जमीन खरीदी और उसे 20 हिस्सों में विभाजित कर लगभग 20 करोड़ रुपये का मुआवजा स्वीकृत करा लिया। हालांकि, बाद में कार्रवाई की आशंका को देखते हुए नए एसडीएम ने इस जमीन को एक ही रकबा मानते हुए केवल 20 लाख रुपये का मुआवजा तय किया।
जांच एजेंसियों के अनुसार, भारतमाला परियोजना के तहत भूमि अधिग्रहण में वास्तविक घोटाले की राशि करीब 43 करोड़ रुपये रही, लेकिन दस्तावेजों में जमीनों को कृत्रिम रूप से छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटकर एनएचएआई को लगभग 78 करोड़ रुपये का भुगतान दर्शाया गया। एसडीएम, पटवारी और भू-माफिया के सिंडिकेट ने बैकडेट में रिकॉर्ड तैयार कर इस पूरे खेल को अंजाम दिया।
अभनपुर क्षेत्र के नायकबांधा और उरला गांवों में जमीनों को 159 खसरों में विभाजित कर रिकॉर्ड में 80 नए नाम जोड़े गए। इससे मात्र 559 मीटर लंबी भूमि की कीमत 29.5 करोड़ रुपये से बढ़कर 70 करोड़ रुपये से अधिक दिखा दी गई, जबकि राजस्व विभाग के अनुसार वास्तविक मुआवजा 29.5 करोड़ रुपये ही बनता था।
अब ईडी ने प्रदेशभर में जहां-जहां भारतमाला सड़क परियोजना के तहत भूमि अधिग्रहण हुआ है, उन सभी जिलों की जांच की तैयारी शुरू कर दी है। सूत्रों का कहना है कि आने वाले दिनों में कुछ आईएएस अधिकारियों और राजनीतिक नेताओं से भी पूछताछ हो सकती है।
बताया जा रहा है कि करीब एक माह पहले रायपुर संभाग आयुक्त ने इस पूरे मामले की रिपोर्ट शासन को सौंपी थी, जिसके बाद कार्रवाई का दायरा और विस्तृत कर दिया गया। राज्य सरकार के निर्देश पर ईओडब्ल्यू ने जांच शुरू की थी, जिसके तहत पहले जगदलपुर नगर निगम के तत्कालीन आयुक्त निर्भय साहू को निलंबित किया गया और बाद में कोरबा के डिप्टी कलेक्टर शशिकांत कुर्रे पर भी निलंबन की कार्रवाई हुई।
ईओडब्ल्यू ने निर्भय कुमार साहू सहित आधा दर्जन अधिकारी-कर्मचारियों के खिलाफ 43 करोड़ 18 लाख रुपये से अधिक की गड़बड़ी का मामला दर्ज किया है।
जांच में यह भी सामने आया कि नायकबांधा जलाशय की डूबान क्षेत्र की उस जमीन पर, जिसका मुआवजा पहले ही दिया जा चुका था, दोबारा 2.34 करोड़ रुपये का फर्जी भुगतान लिया गया। इसके बाद पटवारी से लेकर एसडीएम स्तर तक की जांच पूरी कर चार तत्कालीन कलेक्टरों की भूमिका की भी जांच शुरू कर दी गई है, क्योंकि मुआवजा स्वीकृति का अंतिम अधिकार उन्हीं के पास था।



