इंदौर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने भोजपुर से बीजेपी विधायक और पूर्व पर्यटन मंत्री सुरेंद्र पटवा के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया है। पटवा, जो पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा के भतीजे हैं, पर यह वारंट धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात और आपराधिक साजिश (धारा 420, 409, 120बी) के तहत जारी हुआ है। अदालत ने साफ निर्देश दिए हैं कि उन्हें 16 सितंबर तक गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया जाए।
पटवा के खिलाफ चेक बाउंस के 70 से अधिक मामले दर्ज हैं। इनमें से अधिकतर मामलों की सुनवाई हाईकोर्ट में पूरी हो चुकी है। कई नोटिस मिलने के बावजूद वे लगातार अदालत में हाज़िर नहीं हो रहे थे। यही वजह है कि अब उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करना पड़ा। वहीं, अक्टूबर 2021 में सीबीआई ने पटवा और उनकी पत्नी पर बैंक ऑफ बड़ौदा, इंदौर शाखा की शिकायत पर धोखाधड़ी का केस दर्ज किया था। आरोप है कि पटवा परिवार ने बैंक लोन और उससे जुड़े लेनदेन में गड़बड़ी की।
यह विवाद नया नहीं है। सात साल पहले भी इंदौर कलेक्टर की कोर्ट ने सुरेंद्र पटवा की संपत्ति कुर्क करने का आदेश दिया था क्योंकि उन्होंने 33.45 करोड़ रुपये का बैंक लोन नहीं चुकाया था। उनकी कंपनी ने 2014 में 36 करोड़ रुपये का लोन लिया था। किस्तें न चुकाने पर यह खाता 2017 में एनपीए घोषित कर दिया गया और मामला डीआरटी में चला गया। जनवरी 2019 तक अंतिम मौका दिए जाने के बावजूद लोन का भुगतान नहीं किया गया।
सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में भी यह मामला कई बार चर्चा में रहा। जुलाई 2023 में हाईकोर्ट ने सीबीआई की एफआईआर निरस्त कर दी थी, लेकिन अप्रैल 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट का फैसला पलटते हुए एफआईआर को बहाल कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि आपराधिक मामलों में एफआईआर दर्ज करने से पहले आरोपी का पक्ष सुनना जरूरी नहीं है। सीबीआई की जांच में यह तथ्य भी सामने आया कि पटवा और अन्य आरोपियों के नाम पर कई फर्जी बैंक खाते खोले गए थे।
अब सभी की निगाहें इस पर टिकी हैं कि सुरेंद्र पटवा अदालत में पेश होते हैं या नहीं। यदि वे पेश नहीं होते हैं तो उनके खिलाफ और भी सख्त कार्रवाई हो सकती है। अदालत का रुख 16 सितंबर को होने वाली सुनवाई में साफ होगा।