रायपुर।छत्तीसगढ़ में बढ़ते वायु प्रदूषण ने लोगों की सेहत को लेकर गंभीर चिंता पैदा कर दी है। ठंड के मौसम के साथ ही प्रदेश के कई शहरों में वायु गुणवत्ता तेजी से बिगड़ रही है। सोमवार रात आठ बजे के बाद राजधानी रायपुर समेत अनेक इलाकों में प्रदूषण का स्तर अचानक खतरनाक स्तर तक पहुंच गया।
राजधानी रायपुर का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 366 के पार दर्ज किया गया, जो ‘अत्यंत खराब’ श्रेणी में आता है। यह स्थिति आम लोगों के साथ-साथ खासतौर पर दमा, हृदय और सांस संबंधी बीमारियों से पीड़ित मरीजों के लिए बेहद घातक मानी जा रही है। रायपुर के अलावा भिलाई में AQI 283, रायगढ़ में 274, बिलासपुर में 213 और अंबिकापुर में 131 दर्ज किया गया।
रायपुर में प्रदूषण का सबसे ज्यादा असर
राजधानी के कई हिस्सों में हवा की गुणवत्ता लगातार खराब बनी हुई है। विशेषज्ञों का कहना है कि सर्दियों में हवा की गति कम होने और तापमान गिरने के कारण पीएम 2.5 और पीएम 10 जैसे सूक्ष्म कण लंबे समय तक वातावरण में बने रहते हैं। इससे सांस लेने में परेशानी, आंखों में जलन और सीने में जकड़न जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं। मौसम विभाग ने आगामी दिनों में ठंड और शीतलहर के बढ़ने की संभावना जताई है, जिससे प्रदूषण के और गंभीर होने का खतरा है।
प्रदेश के प्रमुख शहरों का AQI स्तर
- रायपुर – 366 से अधिक (अत्यंत खराब)
- भिलाई – 283 (बहुत खराब)
- रायगढ़ – 274 (बहुत खराब)
- बिलासपुर – 213 (खराब)
- कोरबा – 148 (मध्यम से खराब)
- अंबिकापुर – 131 (मध्यम से खराब)
पीएम 2.5 और पीएम 10 खतरनाक स्तर पर
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार राजधानी और औद्योगिक क्षेत्रों में पीएम 2.5 का स्तर 60 से 129 और पीएम 10 का स्तर 80 से 140 तक पहुंच गया है, जो निर्धारित मानकों से काफी अधिक है।
AQI का स्वास्थ्य पर प्रभाव
- 0–50 : सामान्य
- 51–100 : संवेदनशील लोगों को हल्की परेशानी
- 101–200 : अस्थमा व हृदय रोगियों को दिक्कत
- 201–300 : अधिकतर लोगों को सांस लेने में परेशानी
- 301–400 : लंबे समय तक रहने पर गंभीर बीमारियों का खतरा
- 401–500 : स्वस्थ व्यक्ति भी प्रभावित, बीमारों के लिए अत्यधिक खतरनाक
सावधानी बरतने की सलाह
विशेषज्ञों ने बच्चों, बुजुर्गों और सांस व हृदय रोग से पीड़ित लोगों को सुबह-शाम बाहर निकलने से बचने, मास्क का इस्तेमाल करने और खुले में भारी व्यायाम न करने की सलाह दी है। कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. स्मित श्रीवास्तव के अनुसार यदि ठंड और शीतलहर का असर जारी रहा, तो प्रदेश की हवा आने वाले दिनों में और अधिक जानलेवा हो सकती है।
विशेषज्ञों की चेतावनी
पीआरएसयू के वैज्ञानिक एवं एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शम्स परवेज ने बताया कि इस वर्ष दिसंबर में प्रदेश का AQI, 2023 और 2024 की तुलना में अधिक दर्ज किया गया है। पीएम 2.5 में करीब 60 प्रतिशत कार्बन कणों की मौजूदगी इसे और घातक बनाती है। इससे खून के गाढ़ा होने, हार्ट अटैक और अचानक मौत का खतरा बढ़ सकता है। कोरोना के बाद कमजोर हुई रोग प्रतिरोधक क्षमता और प्रदेश में सिकलसेल रोगियों की संख्या इस खतरे को और गंभीर बना रही है।



